मातृ भाषा म गीत

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एथनोम्यूज़िकोलोज़ी क्या है?

वचने क मुताबित गीत्तैं का होणा एक राह है, कि हम लोक्कैं के मनैं म परमेश्वरा का वचन पौंहचाई सकाँ, अर इन गीत्तैं के ज़रीये थ लोक पूरीया समझा थ परमेश्वरा कि महीमा करी सकैं। अर इसके अलावा याह भी कि लोक अपणीया दिला किया भाषा म परमेश्वरा के वचनें के गीत्तैं कु लिखीकना अलग-अलग साज्जैं के जरीयैं थ समाज्जा म इस्तमाल करें। समाज्जा के जितने मिश्नरी हैं, अर जो दूसरे अगूवे हैं, उनके वास्तै जरूरी है, कि वो भाषा के गीत्तैं किया जरूरत अर उसके प्रभावा का पता लगावैं। म्हारी याह भी इच्छा है, कि कुछ अनुभवी लोक हर एक्की समाज्जा थ आवैं अर वो हर एक्की तरीक्के थ ट्रेनिंग लेइकना त्यार होवैं, ताकि वो कविता, गीत लिखणैं, गीत कंपोस करनै म, अर साज्जैं म अर गीतकारैं के रुप्पैं म बढ़ी सकैं। अर याह बात कलिसियैं कु मदद करगड़ी कि वो प्रभु यीशुआ कि पूरीया समझा थ महीमा करी सकै, अर गीत्तैं कि सही जाणकारी मिलै। अर जो गीत्तैं के कलिसीया म गाणैं आळे हैं, वो भी व्यक्तिगत तरीक्के थ बढ़ी सकैं, ताकि उनका प्रभाव कलिसिया पर भी होवै। म्हारा या सुपना है, कि हर एक कलिसिया अर हर एक्की समाज्जा के लोक अपणीयैं भाषैं म यीशुआ किया अराधना के गीत्तैं म अलग-अलग तरीक्कैं थ बढ़ी सकैं। अर इसकै वास्तै हम जड़े समाज आई सकै औठ्ठै 4 दिनैं का कार्यक्रम भी करते हाँ। अर याह कार्यक्रम लोक्कैं के मनैं कु गीत्तैं के ज़रीये थ उनकिया मातृ भाषा का आदर माण भी करनै म मदद करता है। याह कार्यक्रम इसकै म जुड़णैं आळैं वास्तै इस बात्ता कु समझैं म मदद करता है, कि अपणीया भाषा म गीत्तैं का होणा समाज्जा पर कितना प्रभाव करता है। जो इस कार्यक्रमा म जुड़ते हैं, वो अपणीया मातृ भाषा म समाज्जा के गाणैं के तरीक्के थ गीत्तैं कु लिखणैं आळे बणी जावते हैं। अर वो बाइबला के गीत्तैं कु सही तरीक्के थ परखणा भी सिक्खी जावते है, अर किस तरीक्के थ बाइबला के गीत्तैं कु रिकोर्ड करीकना लोक्कैं म बाँट्या जावता है, याह भी उनकु पता चाल्ली जावता है। अर सिखणैं आळे याह भी सिखंगड़े, कि पाठ्ठैं के ज़रीये थ समाज्जी जरूरतैं कि किदा खुद खोज़ करी सक्ते हैं। अर इस कार्यक्रमा के खतम होणैं ताइं उनकु याह भी पता चाल्ली जागड़ा कि म्हारी संस्कृती किदा है, अर हम होर कि इसके बारे म खोज करी सक्ते हैं। अर इसी क साथ समाज्जा के लोक्कैं कु पता चालता है, कि अपणी खुद किया भाषा म गीत किदा लिखे अर गाये जात्ते हैं। ये सारे गीत परमेश्वरा के वचनैं पर बणोड़े होवते हैं। अगर एक बारी गीत लिखीज्जी जावता है, तो उसकु रिकोर्ड करनै वास्तै घलाया जावता है। अर रिकोर्ड करोड़े गीत, मेमोरी कार्ड, अर पेन ड्राईव, अर होर भी कई तरीक्के के मिडिया के तरीक्कैं थ गीत्तैं कु बाँट्या जात्ता है।

सांसी गीत

क्लिक करो /node/12 याह साँसी गीत्तैं वास्तै है।

शिरूआ कि जाणकारी

इस भाग्गा म जो पाठ है, वो समाज्जा के पासवान्नैं अर मसीह अगुवैं कु जाणकारी देत्ती है, कि किदा समाज्जा के लोक्कैं कु एक ई एम टीम्मा के रुप्पा म त्यार करी सक्ते हैं। अर याह भी कि वो किदा अलग-अलग ज़िम्मेदारीयै म बढ़ी सक्ते हैं। समाज्जा के गीत संगीत्तैं कि खोज करनैं वास्तै जरूरी चिज्जैं अर इच्छा का होणा जरूरी है। इसकरी जिदा ताइं हम म्हारे गीत्तैं कु समाज्जा के अगुवैं सात्थी ना बाट्टां अर इसका ज़िकर आग्गै ना करां , जिदा तक हम ई एम कार्यक्रम हमकु आग्गै नाही बढ़ाणां चाहिये। इस बीच जरूरी है, कि समाज्जा म दर्शना कु हम बाँटते रहां अर लगातार प्रार्थना करते रहां।

 

 

 

 

खोज करना

कई बारी याह जरूरी होत्ता है, कि ई एम कार्यक्रमा के अगुवे, उन अगुवैं थ मिलैं, जो समाज्जा किया संस्कृतीया कु आछिया तरीक्के थ जांणते हैं, अर उनके सात्थी काम भी करैं। अर वो अगुवे कोई भी होई सक्ते हैं, जिदाकी कलिसीया के पासवान या फेरी किसी भी संस्था थ जुड़े लोक या कोइ भी। ई एम कार्यक्रमा के अगुवैं कु जरूरी है, कि वो उन अगुवैं सात्थी मिलिकना ई एम कार्यक्रमा किया जरूरतैं कि खोज करैं, अर एक ऐस्सा रस्ता देक्खैं जिस्थै कि  ई एम कार्यक्रम करी पावैं। इस कार्यक्रमा कि खोज करने आळे पाठ, ई एम अगुवैं कु भी अर समाज्जा म काम करनै आळे अगुवैं कु भी( भावैं वो कलिसीया के पासवान हो याह फेरी किसी संस्था म काम करनै आळे ) मदद करते हैं, कि वो किदा समाज्जा म ई एम कार्यक्रम शिरु करी सक्ते हैं। इन पाठ्ठैं का इस्तमाल करीकना वो अलग-अलग संगीत्तैं के बारे म चर्चा करी सक्ते हैं, जिदाकि इसकी अहमियत क्या है, या कैस्से वक्ता म समाज्जा म इन साज्जैं का इस्तमाल होत्ता है वगेरा-वगेरा। समाज्जा के अगुवे अर  ई एम कार्यक्रमा के भी अगुवैं कु भी जरूरी है, कि वो ई एम कार्यक्रमा कु आग्गै ताइं बढ़ाई सकैं। सारै थ पैहले दो भाग 1 शिरुआ कि जाणकारी 2 खोज़ करना इन दो भाग्गैं कु या तो ई एम कार्यक्रमा के वक्ता म या फेरी आम्है-साम्है चर्चा करी सक्ते हैं।

 

ज़िम्मेदारी लैणां

ज़िम्मेदारीया का मतलब है,  एक कार्यक्रम चालणां। अर ई एम कार्यक्रम आम-तौरा पर समाज्जा के लोक्कैं कु गीत्तैं कि नींव लगाणैं म मदद जरती है, ताकी समाज अपणैं गीत्तैं कि अर संस्कृतिया का भी माण करी सकै, अर अपणैं समाज्जा म गीत्तैं कु भी बढ़ावा देई सकैं। अर साथ ही अपणैं साज्जा कु अर संगीत गीत्तैं कु भी समाज़ लेई सकै। जो भी ई एम कार्यक्रमा म जूड़ते हैं, उनकु याह बात पता चाल्ली जात्ती है, कि मातृ भाषा म गीत अर संगीत्तैं का होणा उनकिया अपणीया भाषा म अर समाज्जा म परमेश्वरा का वचन बाँटणैं वास्तै कितना जरूरी है। अर खास करी वो लोक परमेश्वरा किया अकली म भी बढ़ते हैं। इस कार्यक्रमा म हीस्सा लैणैं आळे अपणिया मातृ भाषा म परमेश्वरा के वचनैं क मुताबित गीत लिखणां भी सिक्खी जात्ते हैं। अर वो लोक इस बात्ता कि भी समझ राखणैं लाग्गी जात्ते हैं, कि गीत जो लिखे गये हैं, वो परमेश्वरा के वचनैं क मुताबित हैं या नाही। अर याह भी सिखते हैं, कि गीत्तैं कु रिकोर्ड करीकना किदा आग्गै मिडिया के जरीये थ लोक्कैं म बाँट्टे जात्ते हैं। अर इस बात्ता कि भी समझ राखते हैं कि सिक्खोड़े पाठ्ठैं क मुताबित म्हारे संस्कृतिया के हालात किदा हैं। अर इस कार्यक्रमा के खतम होणैं ताइं उनकु इस बात्ता का भी पता चाल्ली जात्ता है कि वो किदा समाज्जा कि सही जाणकारी अर खोज़ करी सक्ते हैं।

 

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